तुझसे ही ब्रह्मांड है, तू ही जगत अवतारी है।
मगर फिर भी तू इस जगत जहां में वसुधा की दुखियारी है।
विभोर कर दे जो सबका मन, तू वो शायरों की शायरी है।
एक दूजे को जो बांध सके, तू ही वो लिपि देवनागरी है।
तू वंदना है, तू ही साधन है, तू ही भगवान की सबसे खूबसूरत कारीगरी है।
जिसकी मैली हो गई है दामन, तू वो गंगा यमुना नदी गोदावरी है।
तू मां है, तू बेटी है, तू पत्नी है, तू बहन है, तेरे रूप हजार है।
तुझसे ही रिश्ता सजे, तुझसे ही परिवार है।
उठ खड़ी हो पुर्नशक्ती से, फिर रोशन करदे ये जहां।
जा प्राप्त कर ले अधूरे स्वप्न, और जीत ले ये जहां।
अविनाश ठाकुर
#Womens_Day