नव-संवत्सर अभिनंदन है,नवदुर्गा का भी वंदन है,
उपवन-उपवन पुष्प खिले हैं,नव पल्लव से सब वृक्ष लदे,
नव-रश्मि संग नव शोभित उत्सव,उदय हुआ है नव प्रभात संग ,
बीत गया पतझड़ नीरस भी,फागुन भी अब विदा हुआ,
ग्रीष्म ऋतु का अब आगमन,बीत गया बासंती मौसम,
कलरव करते खग हर डाली,फ़सल पकी कटने को आई,
हलधर का हर रोम खिला,चारों और खुशहाली छाई,
बदल गया रंग धरा का,
हरी फसल सुनहली हो आई,सोने का सा चूनर ओढ़ा,
दुल्हन सी लगती धरा अब,चारों ओर स्वर्णिम आभा छाई,
बाग-बाग आमों की खुशबू,जंगल-जंगल पलाश खिला है,
हर हृदय में है आशा नव-नव,नव-वर्ष नव-ख्वाब भरा है,
आस यही और ख्वाब यही है,सुखमय हो नव वर्ष सभी का,
नव-नव से हर स्वप्न पूर्ण हो, प्रकृति मां से मांग यही है,
हर रोग से मुक्त हो जीवन , ईश्वर से अरदास यही है।।
सभी को हिंदू नववर्ष की शुभकामनाएं।।
Arti acharya
Dil se Dil tak
©Arti Acharya
#navratri