जल देता कल जिस तरहा, करके कंठ को तर | देती सुकूँ व | हिंदी कविता

"जल देता कल जिस तरहा, करके कंठ को तर | देती सुकूँ वैसे मुझे, याद आ के अक्सर || गीत तुम्हारे गाऊंगा, जब तक तन में प्राण | सबसे बड़ा मेरे प्यार का, ये भी एक प्रमाण || ©कवि प्रभात"

 जल देता कल जिस तरहा, करके कंठ को तर |
देती सुकूँ वैसे मुझे, याद आ के अक्सर ||


गीत तुम्हारे गाऊंगा, जब तक तन में प्राण |
सबसे बड़ा मेरे प्यार का, ये भी एक प्रमाण ||

©कवि प्रभात

जल देता कल जिस तरहा, करके कंठ को तर | देती सुकूँ वैसे मुझे, याद आ के अक्सर || गीत तुम्हारे गाऊंगा, जब तक तन में प्राण | सबसे बड़ा मेरे प्यार का, ये भी एक प्रमाण || ©कवि प्रभात

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