// आरज़ू-ए-बोसा // ख़्वाहिश-ए-दिल कह दूॅं गर इज | हिंदी Shayari Video

"// आरज़ू-ए-बोसा // ख़्वाहिश-ए-दिल कह दूॅं गर इजाज़त हो आरज़ू-ए-बोसा कह दूॅं गर तेरी इनायत हो। सहरा की तपिश में अब्र बनकर बरस जा बरसों से प्यासी ज़मीं दूर हर शिकायत हो। एक क़दम मेरी जानिब तुम भी तो बढ़ाओ समझूॅं इश्क़ के इशारे तेरी भी हिमायत हो। साॅंसों को साॅंसों में घुल जाने दो इस तरह होश भी खो बैठे दरमियाॅं ऐसी गफ़लत हो। ज़माने की रस्मों से परे हो उल्फ़त ये हमारी रब भी चाहे मिलाना हमें कि ऐसी शिद्दत हो। तेरी रूहानियत-ओ-सादगी रूह में उतर गई तुम जो मिलें क्यों न चाहूॅं ऐसी क़िस्मत हो। ठोकरों से संभलना हो मुश्किल कहें 'अर्चना' बिखरूॅं जो, तेरी बाहों में मेरी हिफ़ाज़त हो। ©Archana Verma Singh "

// आरज़ू-ए-बोसा // ख़्वाहिश-ए-दिल कह दूॅं गर इजाज़त हो आरज़ू-ए-बोसा कह दूॅं गर तेरी इनायत हो। सहरा की तपिश में अब्र बनकर बरस जा बरसों से प्यासी ज़मीं दूर हर शिकायत हो। एक क़दम मेरी जानिब तुम भी तो बढ़ाओ समझूॅं इश्क़ के इशारे तेरी भी हिमायत हो। साॅंसों को साॅंसों में घुल जाने दो इस तरह होश भी खो बैठे दरमियाॅं ऐसी गफ़लत हो। ज़माने की रस्मों से परे हो उल्फ़त ये हमारी रब भी चाहे मिलाना हमें कि ऐसी शिद्दत हो। तेरी रूहानियत-ओ-सादगी रूह में उतर गई तुम जो मिलें क्यों न चाहूॅं ऐसी क़िस्मत हो। ठोकरों से संभलना हो मुश्किल कहें 'अर्चना' बिखरूॅं जो, तेरी बाहों में मेरी हिफ़ाज़त हो। ©Archana Verma Singh

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