Unsplash "भौतिकता के आगोश में लालशा बढ़ती जा रही | हिंदी शायरी

"Unsplash "भौतिकता के आगोश में लालशा बढ़ती जा रही है धैर्य टूट रहा है प्रीत घटती जा रही है सात जन्मों का साथ निभाने वाले रिश्ते भी दरकते जा रहे हैं आलिंगन में मिलना था जिस मोड़ पर उस मोड़ पर हाथ फिसलते जा रहे हैं ईर्ष्या, द्वेष ,अहम को दूर कर ईश्वर का स्मरण कर सोच जरा प्रीत से बढ़कर इस संसार में और क्या है ?" ©Azaad Pooran Singh Rajawat"

 Unsplash "भौतिकता के आगोश में 
लालशा बढ़ती जा रही है 
धैर्य टूट रहा है 
प्रीत घटती जा रही है 
सात जन्मों का साथ निभाने वाले 
रिश्ते भी दरकते जा रहे हैं 
आलिंगन में मिलना था जिस मोड़ पर 
उस मोड़ पर हाथ फिसलते जा रहे हैं
ईर्ष्या, द्वेष ,अहम को दूर कर 
ईश्वर का स्मरण कर सोच जरा
प्रीत से बढ़कर 
इस संसार में और क्या है ?"

©Azaad Pooran Singh Rajawat

Unsplash "भौतिकता के आगोश में लालशा बढ़ती जा रही है धैर्य टूट रहा है प्रीत घटती जा रही है सात जन्मों का साथ निभाने वाले रिश्ते भी दरकते जा रहे हैं आलिंगन में मिलना था जिस मोड़ पर उस मोड़ पर हाथ फिसलते जा रहे हैं ईर्ष्या, द्वेष ,अहम को दूर कर ईश्वर का स्मरण कर सोच जरा प्रीत से बढ़कर इस संसार में और क्या है ?" ©Azaad Pooran Singh Rajawat

#lovelife #प्रीत#

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