महबूबा और इश्क ? महबूब - हाऐ। सुनने में कितना सुर | हिंदी शायरी Video

" महबूबा और इश्क ? महबूब - हाऐ। सुनने में कितना सुरिला है कमबख़्त इश्क ना होता है और ना किया जाता है ये तो दिया जाता हैं उस नाशिब वाले को जिसके पास ना सवाल और ना ज़वाब जो दिन ना देखे ना रात जिससे ना मिलन की फिक्र और ना जुदाई का डर आशिक के दिल में ना आग होती है ना राख बस मासुक होता है और उसकी पहचान ©Amit Singh Chauhan "

महबूबा और इश्क ? महबूब - हाऐ। सुनने में कितना सुरिला है कमबख़्त इश्क ना होता है और ना किया जाता है ये तो दिया जाता हैं उस नाशिब वाले को जिसके पास ना सवाल और ना ज़वाब जो दिन ना देखे ना रात जिससे ना मिलन की फिक्र और ना जुदाई का डर आशिक के दिल में ना आग होती है ना राख बस मासुक होता है और उसकी पहचान ©Amit Singh Chauhan

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