मैंने तुमसे ज्यादा वक्त भला कब मांगा है
तू चाहे सारा दिन बिताया कर दफ़्तर में
लेकिन सॉंझ ढले तो मेरे हिस्से भी आया कर
कितना कुछ होता है कहने सुनने को
कभी तु बताया कर किस्सा कोई अपने दफ्तर का
कभी मेरी खामोशी को पढ़कर मुस्कुराया कर
©Manish Sarita(माँ )Kumar
#SunSet