रूह को समझना भी जरूरी है महज़ हाथ थमने से कोई अपन

"रूह को समझना भी जरूरी है महज़ हाथ थमने से कोई अपना नहीं होता।"

 रूह को समझना भी जरूरी है 
महज़ हाथ थमने से कोई अपना नहीं होता।

रूह को समझना भी जरूरी है महज़ हाथ थमने से कोई अपना नहीं होता।

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