जालिम लिखा था उसके चेहरे पर
और अदाएं भी कातिल थी
शर्मीली बहुत थी वो पर उसकी आदतें जाहिल थी
इश्क टपक रहा था उसके होंठों से, जहर था
और वो पिला कर मारने में माहिर थी
और पीते ही मर गये हम
पता नहीं कब हुस्न के घर गये हम
हुस्न की आंखों से मदिरा पी रहे थे हम
लगा कि जैसे जन्नत जी रहे थे हम
करके दीदार हुस्न के इश्क का
मरने के बाद भी जिन्दगी जी रहे थे हम
©AnvyJaun
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