*आईने को भी आईना दिखला रहा हूं मैं* *तस्वीर इस सम | हिंदी Video

"*आईने को भी आईना दिखला रहा हूं मैं* *तस्वीर इस समाज की बतला रहा हूं मैं* *जैसी दिखाई दे रही बिल्कुल नहीं वैसी* *दुनिया के रंग तुमको भी समझा रहा हूं मैं* *गिर गिर के उठ सके इसी में है तेरा भला* *राहों से कर ले दोस्ती जतला रहा हूं मैं* *गहरे रहे हैं ज़ख्म मेरे दिल में भरे जो* *हंस हंस के रोज़ ही उसे बहला रहा हूं मैं* *यह जिंदगी है दौड़ती औ भागती रही* *अपनी ही इक जगह पे बस ठहरा रहा हूं मैं* *टूटा हूं कितनी बार पर बिखरा नहीं कभी* *सूरज की हर किरन संग उगता रहा हूं मैं* *कोई मुझे सुने न सुने फ़र्क अब नहीं* *जो आज है "अनुपम" कहता रहा हूं मैं* ©"ANUPAM" "

*आईने को भी आईना दिखला रहा हूं मैं* *तस्वीर इस समाज की बतला रहा हूं मैं* *जैसी दिखाई दे रही बिल्कुल नहीं वैसी* *दुनिया के रंग तुमको भी समझा रहा हूं मैं* *गिर गिर के उठ सके इसी में है तेरा भला* *राहों से कर ले दोस्ती जतला रहा हूं मैं* *गहरे रहे हैं ज़ख्म मेरे दिल में भरे जो* *हंस हंस के रोज़ ही उसे बहला रहा हूं मैं* *यह जिंदगी है दौड़ती औ भागती रही* *अपनी ही इक जगह पे बस ठहरा रहा हूं मैं* *टूटा हूं कितनी बार पर बिखरा नहीं कभी* *सूरज की हर किरन संग उगता रहा हूं मैं* *कोई मुझे सुने न सुने फ़र्क अब नहीं* *जो आज है "अनुपम" कहता रहा हूं मैं* ©"ANUPAM"

#Truth

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