तू हज़ार बार भी रूठे तो मना लूँगा तुझे
मगर देख मोहब्बत में शामिल कोई दूसरा ना हो
किस्मत यह मेरा इम्तेहान ले रही है
तड़प कर यह मुझे दर्द दे रही है
दिल से कभी भी मैंने उसे दूर नहीं किया
फिर क्यों बेवफाई का वह इलज़ाम दे रही है
©Shyamlal Choudhary
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