" कहाँ तलाशूँ मै उन एहसासों को तुम्हारे जो शायद अब कहीं गुम से हो गए है, खुद की तसल्ली के खातिर उसको कई जगह ढूंढा मैंने, कभी उस जगह पर जहां हम हर मरतबा मिला करते थे, कभी उन गलियों मे कि जिनमें हाथ पकड़ एक दूजे का घूमा करते थे ,कभी कमरे मे रखी उस दराज के अखबार के नीचे ,कि जहां कागज पर लिखे तुम्हारे जज्बात छुपाया करते थे बहुत ढूंढा मैने उन्हें ,दिल को भी टटोला मगर वहाँ भी कुछ हाथ न आया बस अब तो थक चुका हूँ मैं ढूंढ- ढूंढ कर उन्हें, एक मरतबा तुम कोशिश आजमा कर देखो मिलें तुमको तो लौटा देना मुझको मै आखिर कब तक यूँही उनको टटोलता रहूँ हवा मे ।। "
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#Nojotovoice