मसाले हैं बहुत दरमे आए खुदाया जिस्म है कैद रुख परे | हिंदी शायरी

"मसाले हैं बहुत दरमे आए खुदाया जिस्म है कैद रुख परेशान खुदाया जवानी में कमर झुकने लगी है मैं चंद दिन का लगता हूं मेहमान खुदाया बिकते हैं लोग मोहब्बत में अक्सर इश्क तो लगता है दुकान खुदाया मेरी जान ही मेरी जान ले रही है मेरा मौत से क्या नुकसान होगा खुदाया खिलौना जानकर वो तोड़ गया है मैं उसे शख्स को लगता हूं बेजान खुदाया ©Badnam Shayar"

 मसाले हैं बहुत दरमे आए खुदाया
जिस्म है कैद रुख परेशान खुदाया 
जवानी में कमर झुकने लगी है 
मैं चंद दिन का लगता हूं मेहमान खुदाया
बिकते हैं लोग मोहब्बत में अक्सर 
इश्क तो लगता है दुकान खुदाया 
मेरी जान ही मेरी जान ले रही है 
मेरा मौत से क्या नुकसान होगा खुदाया
खिलौना जानकर वो तोड़ गया है 
मैं उसे शख्स को लगता हूं बेजान खुदाया

©Badnam Shayar

मसाले हैं बहुत दरमे आए खुदाया जिस्म है कैद रुख परेशान खुदाया जवानी में कमर झुकने लगी है मैं चंद दिन का लगता हूं मेहमान खुदाया बिकते हैं लोग मोहब्बत में अक्सर इश्क तो लगता है दुकान खुदाया मेरी जान ही मेरी जान ले रही है मेरा मौत से क्या नुकसान होगा खुदाया खिलौना जानकर वो तोड़ गया है मैं उसे शख्स को लगता हूं बेजान खुदाया ©Badnam Shayar

#cycle शायरी दर्द 'दर्द भरी शायरी' शायरी हिंदी में

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