मसाले हैं बहुत दरमे आए खुदाया
जिस्म है कैद रुख परेशान खुदाया
जवानी में कमर झुकने लगी है
मैं चंद दिन का लगता हूं मेहमान खुदाया
बिकते हैं लोग मोहब्बत में अक्सर
इश्क तो लगता है दुकान खुदाया
मेरी जान ही मेरी जान ले रही है
मेरा मौत से क्या नुकसान होगा खुदाया
खिलौना जानकर वो तोड़ गया है
मैं उसे शख्स को लगता हूं बेजान खुदाया
©Badnam Shayar
#cycle शायरी दर्द 'दर्द भरी शायरी' शायरी हिंदी में