हर आदमी तस्बीह में दाने की तरह है
ये सारा जहां एक घराने की तरह है
हर सांस मेरी उसकी हिफ़ाज़त पे है मामूर
इक याद मेरे दिल में ख़ज़ाने की तरह है
है कुछ तो हक़ीक़त भी फ़साने में हमारे
लेकिन वो हक़ीक़त भी फ़साने की तरह है
क्यूँ उनको समझता है ज़माने से निराला
तू जिनके लिए सारे ज़माने की तरह है
पल्कों के झपकते ही दिखाई नहीं देता
आना भी तेरा ख़्वाब में आने की तरह है
©Tarique Sayeed Usmani
#BechainMan