بھیگی پلکیں बहते हुए आंसुओं में जरा कमी आ जाए, आज | मराठी शायरी

"بھیگی پلکیں बहते हुए आंसुओं में जरा कमी आ जाए, आज तू इतना रुला दे कि हंसी आ जाए। जिसको जैसे की है दरकार उसे वैसा मिले, तू मुझे मिले और दिल को सुकूँ आ जाए। यूँ साहिल पे बैठ कर आंसू न बहाया करो, क्या मालूम समंदर में सुनामी आ जाए। मैं इक लम्हे में सदियों की जिंदगी जी लूँ, मेरा यकीं जो मेरे गुमान में कभी आ जाए। कल रात से बिछड़ने के ख्वाब देख लिए, ऐसा हो कि सुबह ख्वाब पे यकीं आ जाए। जरा सलीके से पेश आ कि तेरे होते हुए, कहीं ये न हो कि दिल में कोई और आ जाए। ©Dr Navneet Sharma"

 بھیگی پلکیں बहते हुए आंसुओं में जरा कमी आ जाए,
आज तू इतना रुला दे कि हंसी आ जाए।

जिसको जैसे की है दरकार उसे वैसा मिले,
तू मुझे मिले और दिल को सुकूँ आ जाए।

यूँ साहिल पे बैठ कर आंसू न बहाया करो,
क्या मालूम समंदर में सुनामी आ जाए।

मैं इक लम्हे में सदियों की जिंदगी जी लूँ,
मेरा यकीं जो मेरे गुमान में कभी आ जाए।

कल रात से बिछड़ने के ख्वाब देख लिए,
ऐसा हो कि सुबह ख्वाब पे यकीं आ जाए।

जरा सलीके से पेश आ कि तेरे होते हुए,
कहीं ये न हो कि दिल में कोई और आ जाए।

©Dr Navneet Sharma

بھیگی پلکیں बहते हुए आंसुओं में जरा कमी आ जाए, आज तू इतना रुला दे कि हंसी आ जाए। जिसको जैसे की है दरकार उसे वैसा मिले, तू मुझे मिले और दिल को सुकूँ आ जाए। यूँ साहिल पे बैठ कर आंसू न बहाया करो, क्या मालूम समंदर में सुनामी आ जाए। मैं इक लम्हे में सदियों की जिंदगी जी लूँ, मेरा यकीं जो मेरे गुमान में कभी आ जाए। कल रात से बिछड़ने के ख्वाब देख लिए, ऐसा हो कि सुबह ख्वाब पे यकीं आ जाए। जरा सलीके से पेश आ कि तेरे होते हुए, कहीं ये न हो कि दिल में कोई और आ जाए। ©Dr Navneet Sharma

#tears

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