रात तन्हा चाँद मैं,
मैं अमावस का अभिशाप हूँ।
जितना हूँ मैं पुण्य,
खुदका उतना ही मैं पाप हूँ।
ना पूरी तरह सही हूँ,
और ना ही गलत का आलाप हूँ।
शोर है दर्दो का मेरी चुप्पी में,
इसलिए मैं अब तक चुपचाप हूँ।
मैं प्रकाशदाता सूर्य हूँ,
पर लिए सूर्यग्रहण भी साथ हूँ।
मैं ग्रंथ हूँ खट्टे मीठे अनुभवो का,
और जीवन से पल भर की बात हूँ।
ना लिप्सा हूँ ना हूँ तृष्णा,
मैं लिए ठोकर खाने की कायनात हूँ।
कुछ के लिए राजा हूँ बेशक,
पर लिए एक रंक की औकात हूँ।
मैं मुसाफिर हूँ राह का,
पर मंज़िल के ना आसपास हूँ।
मैं दृढनिश्चय हूँ अपनी सफलता का,
फिर भी लिए नाकामयाबी की आस हूँ।
मैं कौन हूँ यह जानता हूँ,
या फिर लिए जानने की अभिलाष हूँ।
'काफ़िर' की तरह मानुष हूँ मैं,
या फिर मानुष का विरोधभास हूँ।
#Nojotovoice