कसक! रहमत की डोर बांधे- काँधे से गिरता हू, जुल्म सहती है रूहें ,आसमा चिरता हू। वे वादे- प्यार रहो मे रह गई -2 दिल मे कसक लिए फिरता हूँ। -विवेक की कलम से- ©VIVEK SINGH CHANDRAVANSHI #shayri #Sea Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto