केलाश बेल धतूरे से सज रहा है, हवाओं में भस्म मिल र | हिंदी कविता

"केलाश बेल धतूरे से सज रहा है, हवाओं में भस्म मिल रहा है, अभिषेक की करो तयारी अब, साल का पावन महीना आ रहा है, अरे भोले का सावन महीना आ रहा है... ©Sakshi Devangan"

 केलाश बेल धतूरे से सज रहा है,
हवाओं में भस्म मिल रहा है, 
अभिषेक की करो तयारी अब, 
साल का पावन महीना आ रहा है, 
अरे भोले का सावन महीना आ रहा है...

©Sakshi Devangan

केलाश बेल धतूरे से सज रहा है, हवाओं में भस्म मिल रहा है, अभिषेक की करो तयारी अब, साल का पावन महीना आ रहा है, अरे भोले का सावन महीना आ रहा है... ©Sakshi Devangan

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