आज होली धुलेंडी है। और हम बैठे हैं घर से मीलों दूर। देश सेवा में ऐसा रमे कि घर की खुशियां भूल गए हैं हम। बचपन में होली का इंतजार हर साल होता था। दोस्तों को गुलाल से नहला दिया करते थे। वो सब बातें अब यादें लगती हैं। जिन्हें हम कभी जिया करते थे। देखिए कब आयेगा वो साल जब हम भी अपने घर जायेंगे और होली पर जश्न मनायेंगे
©Chetan Prajapati