"जो था में वो किसी को दिखा नहीं
अब क्या हुआ यह पता नहीं,
में हु वहाँ जहाँ से सफ़र हे आख़िरी
वो हे कहाँ पता नहीं,
वो हे कहाँ यहाँ पर जो नज़र में रहे
गया वो मग़र वो तिल हे अब तक यही
-मो.रिज़वान मंसूरी"
जो था में वो किसी को दिखा नहीं
अब क्या हुआ यह पता नहीं,
में हु वहाँ जहाँ से सफ़र हे आख़िरी
वो हे कहाँ पता नहीं,
वो हे कहाँ यहाँ पर जो नज़र में रहे
गया वो मग़र वो तिल हे अब तक यही
-मो.रिज़वान मंसूरी