इश्क की ये जो हवा छन के चली आई है।
मैं हूं बेसुध ऋतु मुझको बहा लाई है।
1)
जो तू है अगर पास बता दें मुझको
है अगर प्यार तुझे भी तो जता दे मुझको।
डूबके प्यार में ये तेरे गा रही सरगम
दिल पे रख दे जो हाथ बढ़ जाएं फिर ये धड़कन।
दर से तेरे तो ही मुझको तो सदा आई है ।
मैं हूं बेसुध ऋतु मुझको बहा के लाई है।
2)
मेरी आंखों ने मेरे चांद को जो देख लिया।
नींद ने आँखों से फिर रात को फ़रेब किया ।
रात भर नाम लेके तेरा ख्आव बैठे रहे।
आँखें भी बंद थी और करवटें भी लेते रहे।
खिल उठा मन का कमल तन में लहर आई है।
मैं हूं बेसुध ऋतु मुझको बहा लाई है।
@neelu ✍️
©Neelam Sharma
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