क्यू मैं चाहत बनके जीऊ क्यु मैं ही हर पल

"क्यू मैं चाहत बनके जीऊ क्यु मैं ही हर पल इंतज़ार मैं डुब जाऊ सोच ती हुं चली जाऊ सबकुछ छोडके फिर यादआते हैं मेरे सपने...... हा मै हूँ मेरे सपनों कि वजह से मुझे सबने कहा हैं मै नहीं हुं काबिल किसी और के लिए फिर क्यू सजाऊ बेदर्द ख्खाँब जो कभी पूरे हो ही नहीं सकते सब छोड देते हैं मेरे सवालों को बीच में मैं भी ! मैं खुद से परेशान होने लगी हुं मन में ज्वाला लगी है मै हूँ एक बंजर अभी फिर भी आंस हैं मैं बनुंगी कुछ अलग पिस रही हूं खुद को लोहै कि तरह निखरुंगी हिरे कि तरह मुझे भरोसा हैं खुद पर उन पर जो मुझ से आंस लगा बैठै है। और उस पर भी जो लगता है ओ मेरे साथ ही है। मुझे जीना हैं कुछ अलग कर जाना है अभी अशांत हुं कहा ना पिस रही हुं हैं भरोसा खुदपर। ©SUREKHA THORAT"

 क्यू  मैं  चाहत  बनके  जीऊ 
क्यु  मैं  ही  हर  पल  इंतज़ार मैं  डुब जाऊ
सोच ती हुं  चली जाऊ  सबकुछ  छोडके 
फिर  यादआते हैं  मेरे  सपने...... 
हा  मै  हूँ  मेरे  सपनों  कि  वजह से  
मुझे सबने कहा  हैं  मै नहीं हुं  काबिल  किसी और के लिए 
फिर  क्यू  सजाऊ  बेदर्द  ख्खाँब जो कभी पूरे  हो  ही  नहीं सकते 
सब  छोड देते हैं  मेरे  सवालों को  बीच में  मैं भी !
मैं खुद से परेशान होने  लगी हुं
मन में  ज्वाला लगी है  मै हूँ  एक  बंजर  अभी 
फिर भी  आंस हैं  मैं  बनुंगी  कुछ अलग 
पिस रही  हूं  खुद को  लोहै कि तरह निखरुंगी हिरे कि तरह
 मुझे भरोसा हैं  खुद पर  उन पर जो मुझ से  आंस  लगा बैठै है। 
और  उस पर भी  जो  लगता है  ओ मेरे  साथ ही  है। 
मुझे  जीना हैं  कुछ  अलग कर जाना है 
अभी अशांत हुं  कहा ना  पिस रही हुं
हैं  भरोसा खुदपर।

©SUREKHA THORAT

क्यू मैं चाहत बनके जीऊ क्यु मैं ही हर पल इंतज़ार मैं डुब जाऊ सोच ती हुं चली जाऊ सबकुछ छोडके फिर यादआते हैं मेरे सपने...... हा मै हूँ मेरे सपनों कि वजह से मुझे सबने कहा हैं मै नहीं हुं काबिल किसी और के लिए फिर क्यू सजाऊ बेदर्द ख्खाँब जो कभी पूरे हो ही नहीं सकते सब छोड देते हैं मेरे सवालों को बीच में मैं भी ! मैं खुद से परेशान होने लगी हुं मन में ज्वाला लगी है मै हूँ एक बंजर अभी फिर भी आंस हैं मैं बनुंगी कुछ अलग पिस रही हूं खुद को लोहै कि तरह निखरुंगी हिरे कि तरह मुझे भरोसा हैं खुद पर उन पर जो मुझ से आंस लगा बैठै है। और उस पर भी जो लगता है ओ मेरे साथ ही है। मुझे जीना हैं कुछ अलग कर जाना है अभी अशांत हुं कहा ना पिस रही हुं हैं भरोसा खुदपर। ©SUREKHA THORAT

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