तुमने देखा ही नहीं कभी.. मेरी आँखों में कुछ औऱ भी | हिंदी शायरी

"तुमने देखा ही नहीं कभी.. मेरी आँखों में कुछ औऱ भी था..! इस गहरी सी खामोशी के पीछे.. चीखता हुआ शोर भी था..! इक मजबूत सा इंसान.. जो अंदर से शायद कमजोर भी था..! तू मेरा था ये माना मैंने...... मगर तेरा इक नकाब औऱ भी था.....🥀 ©Abhi raj"

 तुमने देखा ही नहीं कभी..
मेरी आँखों में कुछ औऱ भी था..!

इस गहरी सी खामोशी के पीछे..
चीखता हुआ शोर भी था..!

इक मजबूत सा इंसान..
जो अंदर से शायद कमजोर भी था..!

तू मेरा था ये माना मैंने......
मगर तेरा इक नकाब औऱ भी था.....🥀

©Abhi raj

तुमने देखा ही नहीं कभी.. मेरी आँखों में कुछ औऱ भी था..! इस गहरी सी खामोशी के पीछे.. चीखता हुआ शोर भी था..! इक मजबूत सा इंसान.. जो अंदर से शायद कमजोर भी था..! तू मेरा था ये माना मैंने...... मगर तेरा इक नकाब औऱ भी था.....🥀 ©Abhi raj

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