बंद थी मुद्दतों से जो यादों की तिज़ोरी
उसको पल भर की आहट ने खोलकर रख दिया
पलटकर एक कदम भी नहीं देखा मैंने
मगर हर याद को शायद मैंने फिर से जी लिया
किस किस तसवीर को ओझल करूं मैं दिल से
हर बेजान चीज़ ने भी उसकी झलक को आइना बना लिया
रू-ब-रू खुद से भी नहीं हो पाती अब ये नज़रे मेरी
एक सूरत ने मेरी आंखों को ऐसा बंधी बना लिया
©Meenu Dalal@185
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