जो बन्द हुए दरवाजे रिश्तो के
चलो आज फिर से खटखटाते है
एक नई पहल फिर से करें, चलो
दिल से रिश्ते आज निभाते है।
जरा सी जिद की वजह से,
रिश्तो में जो दूरियां बढ़ी है।
प्रेम से मिल-बैठकर हम उस
फ़ासलों को आज मिटाते है।
सुनो अपनेपन की नदी में से,
अहम का खारा पानी हटाते है
आज बेवजह ही सही चलो हम
अपनो का हालचाल पूछ आते है।
कुछ कदम तुम चलो कुछ हम चले
दिलो में भरी कड़वाहट मिटाते है
अदब औऱ लिहाज में गुजरे जिंदगी।
चलो,गुरुर आसमानी आज मिटाते है।
जो बन्द हुए दरवाजे रिश्तो के,
चलो आज फिर से खटखटाते है।
ममता गुप्ता✍️
©mamta gupta
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