गंगा जमुना सुरसती, सात सिंधु भरपूर।
‘तुलसी’ चातक के मते, बिन स्वाती सब धूर॥
गंगा, यमुना, सरस्वती और सातों समुद्र ये सब जल से भले ही भरे हुए हों, पर पपीहे के लिए तो स्वाति नक्षत्र के बिना ये सब धूल के समान ही हैं; क्योंकि पपीहा केवल स्वाति नक्षत्र में बरसा हुआ जल ही पीता है। भाव यह है कि सच्चे प्रेमी अपनी प्रिय वस्तु के बिना अन्य किसी वस्तु को कभी नहीं चाहता, चाहे वह वस्तु कितनी ही मूल्यवान् क्यों न हो।
©ayansh