#gazal#Nojoto© हरेक इंसान भी यहींऔर इंसानियत भी यहीं,के हो जाती है जाहिर हैवान की हैवानगी भी यहीं//१
होकर शादमा मिरी जान मुझसे मिल तो सही,के घुटकर मर जाती है सात पर्दों में दीवानगी भी यहीं//२
तमाम तसव्वुर को करके तर्क,तिरी याद को दिल में लिए,के छाई है सूरत पे बेचारगी भी यहीं//३
हाय रह गई आईने में अक्स की हकीकत भी धरी,के अक्सर छोड़ गई है पेशानी पर हैरानगी भी यहीं//४