गुरु वही है जो ज्ञान दे बिना मोल के,दक्षिणा ले तो | हिंदी कविता

"गुरु वही है जो ज्ञान दे बिना मोल के,दक्षिणा ले तोल के ज्ञान की परिभाषा ही बदल गई है ज्ञान अब बेचा जा रहा है बाजारों में खरीदार लगे पड़े है भरमारो में हम भी ज्ञान लेने पाठशाला गए वहा तो ज्ञान देने के अलग अलग मोल लेने के व्यवधान लिखा था गुरु बनो ना व्यापारी, चंद पैसे को लेके है मारामारी अब बंद करो ये बाजारी,गुरुकुल बनने को है तैयारी ©Vipin Neha"

 गुरु वही है जो  ज्ञान दे बिना मोल के,दक्षिणा ले तोल के
ज्ञान की परिभाषा ही बदल गई है
ज्ञान अब बेचा जा रहा है बाजारों में
खरीदार लगे पड़े है भरमारो में
हम भी ज्ञान लेने पाठशाला गए
वहा तो ज्ञान देने के अलग अलग
मोल लेने के व्यवधान लिखा था
गुरु बनो ना व्यापारी, चंद पैसे को लेके है मारामारी
अब बंद करो ये बाजारी,गुरुकुल बनने को है तैयारी

©Vipin Neha

गुरु वही है जो ज्ञान दे बिना मोल के,दक्षिणा ले तोल के ज्ञान की परिभाषा ही बदल गई है ज्ञान अब बेचा जा रहा है बाजारों में खरीदार लगे पड़े है भरमारो में हम भी ज्ञान लेने पाठशाला गए वहा तो ज्ञान देने के अलग अलग मोल लेने के व्यवधान लिखा था गुरु बनो ना व्यापारी, चंद पैसे को लेके है मारामारी अब बंद करो ये बाजारी,गुरुकुल बनने को है तैयारी ©Vipin Neha

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