[ पृथ्वी की हालत ]
"यह वक्त विश्व युद्ध नहीं, विश्व युद्ध से बढ़कर है"
"समाधान कुछ नहीं, थमना ही जिंदगी की ख्वाहिश है"
"पृथ्वी को करने दो उसका काम, जरूरत है उसको भी नई शुरुआत की"
" थक गई है वह इंसान ही वो उठाकर, सफाया हो उस पर पड़ी गंदगी का"
" मत पहुंचाओ हनी उसको, इंसानी दुनिया रुकने का इंतजार था उसको"
" कुछ ऐसा किया है उसने जो इस काम के आड़े आएगा, साथ ही दफना जाऐगा "
" कब तक सेपी इंसानी पाप को, करवा लिया उसने साफ हर मानव संसाधन को"
" घुट रही थी वह कब तक सब्र खाती, पापी दुनिया तो बढ़ती ही जा रही थी"
" बचा ली उसने इंसानी दुनिया वरना मुंह में निकल जाती, सिखा दिया उसने गंदगी करने का अंजाम"
" पापी बहुत जितना हुआ गंदगी साफ नहीं, इंसानी दुनिया साफ होने लगी"
"गर्व है पृथ्वी को उस ने इंसानी बोझ उठाया है, मत घोटो गला इसका; यही समय बताता है"
"बेजुबान प्रकृति ने अपना मुंह खोला है, सांसों के साथ इंसानों का सफाया किया है"
" रोक लो खुद को अंदर ही लेने दो चैन की सांस, वरना गोद में ही दफना लेगी वह अपने इंसानों की सांस"
[" आवश्यकता इस गंदगी का सांप होना जहां इंसानी जीवन संभव है। "] { गंदगी= एरोप्लेन का दुआ, बलात्कार,अत्याचार,इंसानी जगं, फैक्ट्रियों का धुआँ, कारखानों का गंदा पानी,नदी नहरों का अशुद्ध पानी, परिंदों को जकड़ना, बेजुबान हर वह जीव जंतु जिस पर बेवजह अत्याचार करना, पेड़ों का काटना, वाहनों का जाम, महिलाओं का शोषण, इत्यादि।} ( निकल जाना= प्राकृतिक आपदा )
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#Condition_of_the_Earth
#written_by_me
#Here_Is_My_Voice
#Listen_Carefully_Guys
#understand_the_Condition_of_the_earth🌎