एक नई राह हैं
एक नई उड़ान हैं
एक नया एहसास हैं।
एक नई उमंग हैं
कभी हार कर भी हस्ती हूँ।।
कभी जीत कर भी रोती हैं।
रोज़ की लडाई में,
कहीं खुद से, तो कभी अपनो से ही लड़ती हूँ।
एक जितने की जंग हैं।
एक नई अस्तित्व की
खुद से ही उम्मीद हैं।
©Raveena Mahto
#standout poem