दिन रात खून पसीना बहा कर मैंने ये कारवाँ बनाया है
तू क्या जाने मैंने किश तरह अपना जहाँ बनाया है
तू जड़ से हटाने की छोड़ हिला भी नहीं सकता
मैंने मोहब्बत की ईंटो से अपना मकाँ बनाया है
©VIRAT TIWARI
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