"मैं अब मायूस रहने लगा हूँ,
किसी की यादों में जीने लगा हूँ।
साहिल पर पहुँचे हर किश्ती यहां,
मैं जिंदगी अब जद्दोजहद से जीने लगा हूँ।।
मंजर ऐसा हो रहा है मैं डूबने लगा हूँ,
अब शाम होते ही अंधेरे से डरने लगा हूँ।
कल का सहर देख पाऊँ या जियूँ यहां,
दिल बस इसी असमंजस से घबराने लगा हूँ।।
©monu gangil"