वो वक़्त दे रहा था मुझें ख़ैरात की तरह दूर रहना क़बूल | हिंदी Shayari

"वो वक़्त दे रहा था मुझें ख़ैरात की तरह दूर रहना क़बूल था मग़र ये ख़ैरात नहीं ©Eklakh Ansari"

 वो वक़्त दे रहा था मुझें ख़ैरात की तरह
दूर रहना क़बूल था मग़र ये  ख़ैरात नहीं

©Eklakh Ansari

वो वक़्त दे रहा था मुझें ख़ैरात की तरह दूर रहना क़बूल था मग़र ये ख़ैरात नहीं ©Eklakh Ansari

वो वक़्त दे रहा था मुझकों ख़ैरात की तरह
दूर रहना क़बूल था मग़र ये उसकी ख़ैरात नहीं

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