"तू भी आ के कभी मना मुझको
ये करिश्मा दिखा मुझको
मिली अब तक नहीं वफ़ा मुझको
इस वफ़ा की मिली सज़ा मुझको
उनको देखा तो दिल हुआ उनका
क्या बताऊं के क्या हुआ मुझको
इसको अपना बनाऊं मैं कैसे
जिसने कुछ भी नहीं दिया मुझको
ज़िंदगी का भरोसा पल का नहीं
कब मिलोगे अब तो बता मुझको
मो'जज़ा था मैं ने तमाशा किया
लग गई किसकी बददुआ मुझको
देखते ही मुझ पे भड़केंगे
अपने डेडी से मत मिला मुझको
जान में जान आ गई जैसे
आप आते तो यूं लगा मुझको
सब बुझा दो चिराग़ मेरे भी
तंग करने लगी हवा मुझको
आ रही है जो हिचकियाँ नाज़ुक
कोई तो याद कर रहा मुझको"
©(Nazuk nazuk )
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