जिधर देखो उधर लगता है,
आजकल बहुत डर लगता है,
हम तुम्हारी हिफाज़त क्या करेंगे,
खतरे में तो अपना ही घर लगता है।
हुस्न तो तेरा ताजमहल है जानम ,
दिल लेकिन खंडहर लगता है।
तन बदन भले उसका गुलाब जैसा है,
जुबान लेकिन ज़हर लगता है।
अदब से बड़ों के पांव छू लिया करो,
उनका आशीर्वाद उम्र भर लगता है
#dharmendra Kumar Sharma muktak syayri jidhar dekho udhar