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सामने सब के गिराना छोड़ दे
गैर को अपना बताना छोड़ दे
कर न इतने तू सितम दिल पे मेरे
अब के हमको आजमाना छोड़ दे
रोक ना पाओगे मंजिल से मुझे
राह में पत्थर बिछाना छोड़ दे
होश में है आये महफ़िल में तेरी
जाम नज़रो के पिलाना छोड़ दे
मत दिलाओ याद हमको लम्हे वो
अब पुराना वो तराना छोड़ दे
हासिले अब कुछ नहीं होगा यहाँ
अब गले गम को लगाना छोड़ दे
जख्म दिल पे तो बहुत है मेरे भी
जख्म तू अपने दिखाना छोड़ दे
( लक्ष्मण दावानी )
4/12/2016
©laxman dawani
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