लिखने को कहा है किसी ने मुझे पिता पे,
क्या लिखूं में उसके बारे में, जिसने मेरी संरचना कि..
क्या कहुं में जिसपे है मेरी निव खड़ी
जो भी सिखा , सिखा सब तुझी से
चलना तक सिखा मेंने तेरी उंगली पकड़ के
फिर क्या हैसियत है मेरी...?
तपस्वी ने तप किऐ पाने को वरदान
अवदा है तेरा उससे भी उपर, जो भी किया कुछ ना मांगा तुने अपने लिए
तु वो देवता है क्रोध जो आया सामत आयी हमारी ,
पर आ गई जो छोटी सी बुखार छलक पड़े सारी एहसास..
खुद को धुपों में तपाता है , फिर भी अपनी फिक्र छोड़
हमारी खुशियां खरीद लाता है....!
पिता है वो मेरा तभी तो हर पल , हमारे साथ रहता है
अपनी खुशियां बेच , मेरी खुशियां खरीद लाता है...!
शब्द नहीं मेरे पास जो कहुं में कुछ भी
है क्या हैसियत जो लिखुं में कुछ भी...!
शुक्रिया ..❤️
#poem #dedicatd_to _ father ❤️ @Ankit Tiwari @Mohan Singh Rawat @Anshul Sethi आशीष रॉय 🇮🇳 @mohd_saquib_537