चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं म | हिंदी Shayari

"चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछड़ के खुश रहने का अब चाहता हूं , इन सब बातों से मुकर जाएं आखिर कब तक यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर सबको अपना हाल बेहतर बताएं और अंदर ही अंदर सिमट कर,बिखर कर यूं बेवजह जीते जाएं मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल एक ख्वाहिश यह भी रहा कि चलो अब मर जाए कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए इससे तो यही बेहतर है कि तू अगर भूल चुका है मुझे तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए ©BIKASH SINGH"

 चंद सांसों की गिरफ्त में कैद 
रूह रिहाई की दुआएं मांगे। 

अब क्या करें 
जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही 
मुझे रास ना आए 

जो किया था वादा 
तुझसे बिछड़ के खुश रहने का 
अब चाहता हूं ,
इन सब बातों से मुकर जाएं 

आखिर कब तक 
यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर 
सबको अपना हाल बेहतर बताएं 

और अंदर ही अंदर 
सिमट कर,बिखर कर 
यूं बेवजह जीते जाएं 

मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल 
एक ख्वाहिश यह भी रहा 
कि चलो अब मर जाए 

कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए 
इससे तो यही बेहतर है 

कि तू अगर भूल चुका है मुझे 
तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए

©BIKASH SINGH

चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछड़ के खुश रहने का अब चाहता हूं , इन सब बातों से मुकर जाएं आखिर कब तक यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर सबको अपना हाल बेहतर बताएं और अंदर ही अंदर सिमट कर,बिखर कर यूं बेवजह जीते जाएं मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल एक ख्वाहिश यह भी रहा कि चलो अब मर जाए कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए इससे तो यही बेहतर है कि तू अगर भूल चुका है मुझे तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए ©BIKASH SINGH

चंद सांसों की गिरफ्त में कैद
रूह रिहाई की दुआएं मांगे।

अब क्या करें जब तेरे बगैर
ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए

जो किया था वादा तुझसे बिछड़ के खुश रहने का
अब चाहता हूं इन सब बातों से मुकर जाएं

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