White शीर्षक - सुबह
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सच तो सुबह होती हैं।
पक्षियों का कलरव है।
कुदरत ही सुबह होती हैं।
हम इंसान कहां समझते हैं।
सुबह-सुबह की राह होती है।
दिन पेटभर दाने की राह होती हैं।
पक्षियों का सच हम इंसान न समझते हैं।
हां सच और सोच हमारी कुदरत कहतीं हैं।
मोह माया के साथ हम छल फरेब करते हैं।
हां एक दिन सब कुछ यही रह जाता है।
पक्षी मन संसार से शरीर पिंजरे से उड़ जाता हैं।
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नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र
©Neeraj kumar Agarwal chandausi u.p
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