बह रही थी नदी निरंतर
एक प्यारी सी ध्वनि संग लेकर
मोह रही थी मन को ध्वनि उसकी
दे रही सुकून हर किसी के दिल को
जो पूछा किसी पेड़ ने
कहा से लाई तुम इतनी मधुर ध्वनि
दिया नदी ने हों कोमल मन से जवाब
चट्टानों से टकरा टकरा कर
बढ़ रही हु निरंतर अपने गंतव्य पर
बस हु लाई ये ध्वनि कठिन परिश्रम कर
©Neel.
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