वो अब भी रेल में बैठी सिसक रही होंगी----मैं अपना ह | हिंदी शायरी

"वो अब भी रेल में बैठी सिसक रही होंगी----मैं अपना हाथ हवा में हिलाकर लौट आया----!! ©Farooq Farooqui"

 वो अब भी रेल में बैठी सिसक रही होंगी----मैं अपना हाथ हवा में हिलाकर लौट आया----!!

©Farooq Farooqui

वो अब भी रेल में बैठी सिसक रही होंगी----मैं अपना हाथ हवा में हिलाकर लौट आया----!! ©Farooq Farooqui

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