नीचे पलकें झुकाये खङा आज है,
कोई हलचल नहीं न कोई साज़ है।
बेरुखी ही रही इतनी इस साल की,
साल ये आज ख़ुद से भी नाराज़ है।।
©veer jii
नीचे पलकें झुकाये खङा आज है,
कोई हलचल नहीं न कोई साज़ है।
बेरुखी ही रही इतनी इस साल की,
साल ये आज ख़ुद से भी नाराज़ है।।
#अलविदा_दिसंबर