चेहरे पर जो आये, वो एक निखार होती हैं बेटियां, मात

"चेहरे पर जो आये, वो एक निखार होती हैं बेटियां, माता पिता के लिए जैसे, कोई उपकार होती हैं बेटियां, तमाम रौनके मौजूद हैं, इनकी खिलखिलाहट से, खुशियों का जैसे, कोई त्यौहार होती हैं बेटियां, चिलचिलाती धूप में भी, जो एक छाँव की तरह साथ रहे, इंसान के रूप में जैसे, कोई अवतार होती हैं बेटियां, आज जो एक नन्ही सी जान है, कल वो एक घर संभालेगी, माँ बाप की इज़्ज़त, उनके दिए हुए संस्कार होती हैं बेटियां, गुज़रते वक़्त साथ जिसे, खुद से जुड़ा करना पड़े, माँ बाप के लिए तो खुद, एक घर-संसार होती हैं बेटियां, किसी फूल की तरह जो, अपने घर आँगन को महकाये, पत्थर को जो बनाये मूरत, वो आकार होती हैं बेटियां, थक - टूट कर घर आने पर, जिसे देख मुस्कुरा दे ये लब, पतझड़ में भी जैसे, बहार होती हैं बेटियां, एक बेटी क्या है, कभी अपने दिल से पूंछो, दिल में रहे सदा जो एक जज़्बा, वो प्यार होती हैं बेटियां.... -Monu Baba❣️❣️"

 चेहरे पर जो आये, वो एक निखार होती हैं बेटियां, माता पिता के लिए जैसे, कोई उपकार होती हैं बेटियां,

तमाम रौनके मौजूद हैं, इनकी खिलखिलाहट से, खुशियों का जैसे, कोई त्यौहार होती हैं बेटियां,

चिलचिलाती धूप में भी, जो एक छाँव की तरह साथ रहे, इंसान के रूप में जैसे, कोई अवतार होती हैं बेटियां, आज जो एक नन्ही सी जान है, कल वो एक घर संभालेगी, माँ बाप

की इज़्ज़त, उनके दिए हुए संस्कार होती हैं बेटियां,

गुज़रते वक़्त साथ जिसे, खुद से जुड़ा करना पड़े, माँ बाप के लिए तो खुद, एक घर-संसार होती हैं बेटियां,

किसी फूल की तरह जो, अपने घर आँगन को महकाये, पत्थर को जो बनाये मूरत, वो आकार होती हैं बेटियां,

थक - टूट कर घर आने पर, जिसे देख मुस्कुरा दे ये लब, पतझड़ में भी जैसे, बहार होती हैं बेटियां,

एक बेटी क्या है, कभी अपने दिल से पूंछो, दिल में रहे सदा जो एक जज़्बा, वो प्यार होती हैं बेटियां....
                                                           -Monu Baba❣️❣️

चेहरे पर जो आये, वो एक निखार होती हैं बेटियां, माता पिता के लिए जैसे, कोई उपकार होती हैं बेटियां, तमाम रौनके मौजूद हैं, इनकी खिलखिलाहट से, खुशियों का जैसे, कोई त्यौहार होती हैं बेटियां, चिलचिलाती धूप में भी, जो एक छाँव की तरह साथ रहे, इंसान के रूप में जैसे, कोई अवतार होती हैं बेटियां, आज जो एक नन्ही सी जान है, कल वो एक घर संभालेगी, माँ बाप की इज़्ज़त, उनके दिए हुए संस्कार होती हैं बेटियां, गुज़रते वक़्त साथ जिसे, खुद से जुड़ा करना पड़े, माँ बाप के लिए तो खुद, एक घर-संसार होती हैं बेटियां, किसी फूल की तरह जो, अपने घर आँगन को महकाये, पत्थर को जो बनाये मूरत, वो आकार होती हैं बेटियां, थक - टूट कर घर आने पर, जिसे देख मुस्कुरा दे ये लब, पतझड़ में भी जैसे, बहार होती हैं बेटियां, एक बेटी क्या है, कभी अपने दिल से पूंछो, दिल में रहे सदा जो एक जज़्बा, वो प्यार होती हैं बेटियां.... -Monu Baba❣️❣️

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