गुफ़्तुगू तूने सिखाई है कि मैं गूँगा था  अब मैं बो | हिंदी Shayar

"गुफ़्तुगू तूने सिखाई है कि मैं गूँगा था  अब मैं बोलूँगा तो बातों में असर भी देना  मैं तो इस ख़ाना-बदोशी में भी ख़ुश हूँ लेकिन  अगली नस्लें तो न भटकें उन्हें घर भी देना  ज़ुल्म और सब्र का ये खेल मुकम्मल हो जाए  उस को ख़ंजर जो दिया है मुझे सर भी देना ©Raghvendra Singh "

गुफ़्तुगू तूने सिखाई है कि मैं गूँगा था  अब मैं बोलूँगा तो बातों में असर भी देना  मैं तो इस ख़ाना-बदोशी में भी ख़ुश हूँ लेकिन  अगली नस्लें तो न भटकें उन्हें घर भी देना  ज़ुल्म और सब्र का ये खेल मुकम्मल हो जाए  उस को ख़ंजर जो दिया है मुझे सर भी देना ©Raghvendra Singh

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