उत्कृष्ट हो कालजयी प्रमाण बनना होगा
ए मेरी रचनाओं तुम्हें..!
कलम की प्रतिष्ठा व सम्मान बनना होगा
ए मेरी संवेदनाओं तुम्हें..!
मेरे अंतर्मन का सर्व श्रृंगार हो तुम
दीपक में ज्योति सा आधार हो तुम
जीवनदर्शन का उपमान बनना होगा
ए मेरी सामर्थ्यताओं ओं तुम्हें..!
बड़ी सिद्द्त से गढ़ा है हर्फ़ हर्फ़ तराश कर
कैसे जी पाउँगा तुमसे ही हारकर
निराभिमान स्वाभिमान बनना होगा
ए मेरी कल्पनाओं तुम्हें..!
तुम्हारा अस्तित्व यूँ निरर्थक न हो पाये
हमारा अथक परिश्रम ही व्यर्थ न जाये
सत्यं शिवम सुंदरम की पहचान बनना होगा
ए मेरी प्रेरणाओं तुम्हें..!
प्रेम से पल्ल्वित हो पवित्रता का परिचय बनो
तुम अमिट हो अजेय हो तो अक्षय बनो
काव्य धरोहर में मनोरम स्थान बनना होगा
ए मेरी भावनाओं तुम्हें..!
©अज्ञात
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