एक अरसा हो गया खुलकर मुस्कुराये हुए!
एक अरसा हो गया किसीसे अपने दिल का हाल बयाँ किये हुए!
एक अरसा हो गया अपने दर्द को दिल में दबाये हुए!
एक अरसा हो गया ज़िन्दगी के उन हसीन ख्वाबों की किताब को बंद किए हुए!
एक अरसा हो गया बारिश की बूंदो के साथ अपने मन के ज़ज़्बात को बहाये हुए!
एक अरसा हो गया इन आंसुओं को अपनी हसीं के पीछे छुपाये हुए!
एक अरसा हो गया इस इंतज़ार में कि कभी ना कभी तो मिलेगा कोई मुझे और कहेगा कि...
In next part
©chandni chouhan
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