हाथों से वक्त कुछ ऐसे फिसल रहा है जैसे सरकती है रेत हाथों से,
और तुम कहते हो की वक्त खूब है अभी सही वक्त आने में,
जो सोचा है पूरा कर लो अगर करना है उसे, वरना तो बहाने खूब है यूंही अपनी विफलता छुपाने के ।।
©kritu
सही वक्त...!
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