मुक़र्रर कर दे तू हद-ए-इंतज़ार,, पलकों के ताने अब सह | हिंदी Bhakti

"मुक़र्रर कर दे तू हद-ए-इंतज़ार,, पलकों के ताने अब सहे नहीं जाते...!! ©मलंग"

 मुक़र्रर कर दे तू हद-ए-इंतज़ार,,
पलकों के ताने अब सहे नहीं जाते...!!

©मलंग

मुक़र्रर कर दे तू हद-ए-इंतज़ार,, पलकों के ताने अब सहे नहीं जाते...!! ©मलंग

#Madhav

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