*मुरझाये गुलाब तो क्या, खरीदना थोडी है..* बैचेन | हिंदी शायरी आणि गझल

"*मुरझाये गुलाब तो क्या, खरीदना थोडी है..* बैचेन नहीं ऊससें कोई, 'वो खरीददार है'.. हमदर्द थोडी हैं...!! ©Vivek Samadhan mhaske "

*मुरझाये गुलाब तो क्या, खरीदना थोडी है..* बैचेन नहीं ऊससें कोई, 'वो खरीददार है'.. हमदर्द थोडी हैं...!! ©Vivek Samadhan mhaske

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