रोशन है शम-ऐ-महफ़िल जिनसे हर आंगन में, के उन्हें ह | हिंदी Shayari

"रोशन है शम-ऐ-महफ़िल जिनसे हर आंगन में, के उन्हें ही उस लौ को रोशनी को तरसते देखा है।। -लफ़्ज़-ए-आशना "पहाडी़" . ©दीक्षा गुणवंत"

 रोशन है शम-ऐ-महफ़िल जिनसे हर आंगन में,
के उन्हें ही उस लौ को रोशनी को तरसते देखा है।।


-लफ़्ज़-ए-आशना "पहाडी़"













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©दीक्षा गुणवंत

रोशन है शम-ऐ-महफ़िल जिनसे हर आंगन में, के उन्हें ही उस लौ को रोशनी को तरसते देखा है।। -लफ़्ज़-ए-आशना "पहाडी़" . ©दीक्षा गुणवंत

रोशन है शम-ऐ-महफ़िल जिनसे हर आंगन में,
के उन्हें ही उस लौ को रोशनी को तरसते देखा है।।
-लफ़्ज़-ए-आशना "पहाडी़"

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